अच्छा-बुरा आदमी कोई नहीं होता।
ये वक्त ही दरअसल एक सा नहीं होता।।
रब ने बख्शा हुनर कुछ ना कुछ हर शख्स को।
हो आदमी कोई छोटा वो नहीं होता।।
हमाम में नंगे जितने तुम उतने ही हम भी। अंगुली उठाना और पर अच्छा नहीं होता।।
गंगा-जमुनी तहजीब की दुहाई देने वाला। जरूरी नहीं हकारतों* का दलाल नहीं होता।।
*नफरत
प्यार,अखलाक,शुक्रगुजारी अगर ना हो तो। कोई आदम का बच्चा इंसान नहीं होता।।
गंडा बंधवाया नहीं जब किसी "उस्ताद" से तूने।
इख्तियार तुझे यूॅ तो गजल लिखने का नहीं होता।।
@नलिन #उस्ताद
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