औरों से ना सही किया करो।
खुद से तो गुफ्तगू किया करो।।
जिस्म,लिबास क्यों आंकते भला।
उतर कर दिल में देख लिया करो।।
माना उसे नहीं है अदब का इल्म।
बढ़ के तुम ही हाथ मिला लिया करो।।
आंखों में सपने हैं उस गरीब के भी।
हो सके तो तुम भी मदद कर दिया करो।।
धन-दौलत ही से नेकी हो ऐसा तो नहीं।
कभी दो बोल मीठे दिल से बोल दिया करो।।
जमाने का क्या है वो तो कहेगा ही।
दिल की "उस्ताद" तुम अपनी किया करो।।
@नलिन #उस्ताद
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