बहुत नन्हा मासूम है वो तो मगर क्या कीजिएगा।
सत्ता के खेत जा रहा है हांका क्या कीजिएगा।।
बना उसे अपना वो सुल्तान,
"मा-बदौलत" जबरन।
करते हैं उल्लू सीधा सो क्या कीजिएगा।।
गले भी लगाता है आंख से मारते हुए झप्पी।
दाल गलती ही नहीं उसकी तो क्या कीजिएगा।।
आंख मिला कर बताओ तो कोई कैसे बात करे उससे।
गया है सूख उसकी आंख का पानी सो क्या कीजिएगा।।
जिस "हाथ" ने सींचा था कभी वतन ए बागवां हमारा।
खुद ही करता जड़ में कुठाराघात क्या कीजिएगा।।
जो मिला कर हाथ चलते खिल जाता तरक्की का "नलिन" ।
बनता वतन सिरमौर मगर "उस्ताद" क्या कीजिएगा।।
@नलिन #उस्ताद
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