तेरे शहर का मिजाज तू ही जान हमें क्या। हम तो हैं फकीर हमारी बला से हमें क्या ।
बोया है जैसा काटेगा वो ही तो भला।
अब अफसोस तू लाख करे भी तो हमें क्या।।
जिंदगी के रास्ते ऊबड़-खाबड़ समतल कहां। नाज-नखरे से ही तुझे फुर्सत नहीं हमें क्या।।
बाल की खाल निकालना ही बन चुका जब उसका शगल।
पेश करो दलीलें लाख आला दर्जे की उसे क्या।।
तालीम हमने"उस्ताद"दे तो दी अच्छी-भली। कसौटी शागिदॆ उतरे ना खरा तो हमें क्या।।
@नलिन #उस्ताद
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