लीजिए हुजूर दुआ आपकी करामात हो गई। लो शहर में आज तो आपके बरसात हो गई।।
पहली बरसात है शहर की थोड़ा भीग लो। छतरी,बरसाती तो बाद की बात हो गई।।
पढ़ लिखकर जबसे यहाॅ लोग *सुखनफहम हुए।*विद्वान
बीमारी ये तबसे बहस की वाहियात हो गई।।
सच-झूठ की अब भला है कहो यहां किसे परवाह।
बातें बस तारिकाओं कि खबरे जमात हो गई।।
अपनी सेना पर जो हर रोज सवाल उठा रहे। वतनपरस्ती तो उनकी खुराफात हो गई।।
आमना-सामना हुआ जब"उस्ताद"से हमारा। गुफ्तगू हमारी अल्लाह से हर रात हो गई।।
@नलिन #उस्ताद
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