रोना है तो रो लो प्यारे
हँसना है तो हँस लो
लेकिन यूं चिन्तित हो बार-बार
जीवन को न त्रस्त करो।
हँसना तो बहुत अच्छा है
इसमें कंहाँ संदेह भला है
पर रोना भी है नहीं बुरा।
वो तो बस अपने भीतर के
अन्तरतम बसते विकार को
बाहर लाने का एक जरिया है।
जिससे फिर अधरों पर अपने
निर्मल, मृदुल मुस्कान लिये
"नलिन" सहज खिलने लगता है।
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