आओ भईया मिल-जुल कर
ज्ञान की जोत जलायें।
पढ़ें-लिखें साक्षर बन कर
देश का मान बढ़ायें।
वक्त भी है और मौका भी
बहती गंगा आज नहायें।
कल पर क्यों काम छोड़ कर
सिर धुनि-धुनि पछ्तायें।
आलस, कमज़ोरी से बच कर
अपना सोया भाग्य जगायें।
मानव को मानव समझें बस
भेदभाव की मेंड़ हटायें।
मन के छल-प्रपंच मिटा कर
आल्हा, कज़री, चैती गायें।
हर हालत में खुश रह कर
अपना घर हम स्वर्ग बनायें।
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