बेचो-बेचो अब खुद को भी बेचो
ऐसे जग में काम चले न
अब खुद को भी बेचो।
भाई को बेचो, बहन को बेचो
माँ को बेचो, बाप को बेचो
अब संबंधों को भी बेचो।
ईमान को बेचो, शर्म को बेचो
सत्य को बेचो, प्रेम को बेचो
अब मानवता को भी बेचो।
न्याय को बेचो, देश को बेचो
जिन्दे, मुर्दे सब को बेचो
अब नैतिकता को भी बेचो।
बेचो-बेचो अब खुद को भी बेचो …
No comments:
Post a Comment