Thursday, 31 October 2019

गजल:263-हमारी हर आह पर सवाल है

हमारी हर आह पर सवाल है।
ये उसका जुल्म भी कमाल है।।
इनायत होती है जब उसकी तुझ पर।
समझ आता उसका हुस्नो जमाल है।।
भटके हुओं को दिखाने रास्ता।
जल रहा वो जैसे एक मशाल है।।
वो भी निकला फकत बेवफा।
दिल में मेरे यही एक उबाल है।।
आंखों में खटक जाए जो कोई।
करता उसे वो तो बस हलाल है।।
समझा ही नहीं कोई हमें यहां।
"उस्ताद"बस यही तो मलाल है।।
@नलिनी #उस्ताद

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