Friday 25 October 2019

गजल-262:मिलें हों दिल तो

मिलें हों दिल तो हाथ मिलाने की कीमत नहीं।
हों न मिले तो फिर मिलाने की भी जरूरत नहीं।।
दिलों की धड़कनों से अपनी तुम जान जाओगे।
जो प्यार करोगे असल तो पूछोगे कैफियत*नहीं।*हाल/समाचार
हो अगर अंजान हकीकत से तुम किसी की।
लगाना उस पर कभी ठीक बेबात तोहमत*नहीं।।*झूठा इल्जाम
दुनियावी बातों में हिसाब-किताब से किसे एतराज है।
बात ये मगर कतई जायज होती कभी मुहब्बत नहीं।।
प्यार से बोलो लगाओ जरा काफिर को भी गले।
लगता है की है तुमने कभी ठीक से इबादत नहीं।।
खुशियों से कह दो "उस्ताद" लिख रहे गजल।
दहलीज पर ठहरें अभी गमों से फुर्सत नहीं।।
@नलिन#उस्ताद

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