Wednesday, 13 February 2019

गजल-113 वक्त ठोक बजा

वक्त ठोक बजा सब समझाता है।
हुनर उसे यह बखूबी आता है।।
जब मकसद ही हो किसी का बरगलाना।  समझाने पर भी कहां समझ पाता है।। इल्जाम थोप बेवफाई का उस पर।
खुद वो ही रास्ता भटक जाता है।।
कठगरे में वो खुद को ही खड़ा पाता।
गैर को जब भी आईना दिखाता है।।
गड्डी फेंटो हर बार चाहे जितनी।
जोकर को कहां कोई मिलाता है।।
उस्ताद उसकी नासमझी का आलम देखो।
हर बार सफेद झूठ बेशर्म दोहराता है।।
@नलिन #उस्ताद

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