Tuesday, 9 August 2016

विकास गीत सबके लिए माँ भारती ने गुनगुनाया।।

नव विभा,नव उल्लास,नव रंग हर दिशा छाया।
नव दिवाकर,स्वतंत्रता जब प्रभात लिए आया।।
रंग केसरिया बलिदान,त्याग और शौर्य का।
हरा उत्साह,विकास का,शांति सन्देश लाया।।
अशोक चक्र काल प्रवाह शाश्वत सूचक बना।
तिरंगा पूरी आन,बान,शान से सदा फरफराया।।
नोजवानों के जोश,शक्ति से अभिभूत भारत रहा।
दुनिया में नित नाम,यश का डंका  बजाया।।
युद्ध मैदान में शक्ति काली ने रौद्र रूप दिखाया।
शिव स्वरुप फौज़ ने जल,थल,नभ तांडव रचाया।।
शांति दूत बन कर सदा विश्व भाईचारा बढ़ाया।
"वसुधैव कुटुम्बकम"का मन्त्र जन-जन सिखाया।।
सब हों प्रसन्न,सबमें नित तेज़ स्वाभिमान रहे।
विकास गीत सबके लिए माँ भारती ने गुनगुनाया।।

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