Tuesday, 28 June 2016

जय गजानन रूप साईं



जय गजानन रूप साईं 
तुम आदिदेव,प्रथम पूज्य हो। 
हाथ में मोदक लिए 
भक्त हेतु तत्पर खड़े हो। 
विघ्नहर्ता,जगत्कर्ता
 तुम मंगल स्वरुप हो। 
ऋद्धि-सिद्धि चंवर डुलातीं 
तुम आत्मभू सर्वेश हो। 
विद्या,विनय,शीलदाता 
तुम गुणों की खान हो। 
मन,इंद्री बना मूषक 
बैठ विचरते सर्वत्र हो। 
कान सूपाकार,भक्त पुकार सुन 
हरते त्वरित दुःख,कष्ट हो। 
स्नेह,अंकुश से सदा तुम 
गलत राह पर रोकते हो।
 चार भुजा,चारों दिशा
कर्मरत तुम नित्य हो। 
तिल,दूर्वा,सूक्ष्म भाव अर्पण 
तुम आशुतोष सुपुत्र हो। 



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