राम- तुम्हारा उपकार
दर्द का यह सैलाब।
कराता है तुम्हारा ही स्मरण
छण-छण ,प्रतिपल।
कुछ और नहीं सूझता
अंधकार को जो दे विराम।
केवल एक तुम्हारा ही नाम
राम-राम बस एक राम।
यही एकमात्र आधार
मुझमें भरता आत्मविश्वास।
घटाटोप अन्धकार भी हटेगा
मेरा रूठा मीत मिलेगा।
भानु शिरोमणि अपने प्रकाश से
उर"नलिन"खिला देगा।
हर संताप मिटा देगा
रोम-रोम महका देगा।
तेरी अमृत सुवास से
अक्षय वट बनेगा जीवन।
बहेगा-निर्मल आनंद
हर पल,हर छण निरंतर।
दर्द का यह सैलाब।
कराता है तुम्हारा ही स्मरण
छण-छण ,प्रतिपल।
कुछ और नहीं सूझता
अंधकार को जो दे विराम।
केवल एक तुम्हारा ही नाम
राम-राम बस एक राम।
यही एकमात्र आधार
मुझमें भरता आत्मविश्वास।
घटाटोप अन्धकार भी हटेगा
मेरा रूठा मीत मिलेगा।
भानु शिरोमणि अपने प्रकाश से
उर"नलिन"खिला देगा।
हर संताप मिटा देगा
रोम-रोम महका देगा।
तेरी अमृत सुवास से
अक्षय वट बनेगा जीवन।
बहेगा-निर्मल आनंद
हर पल,हर छण निरंतर।
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