श्वेत रोम कूप अंग, षडरिपु भंजनं
नमामि देव देवेश मारुति नन्दनम्।
श्री राममन्त्रमूलम् जपति श्री मुखार विन्दम्
सर्वरोगहरं, अंजनीसुत प्रणमाम्यहम्।
अष्टसिद्धि, नवनिधि सहज प्रदायकम्
श्री शक्ति सीता वात्सल्य रस पोषितम्।
सर्व कार्य समर्थ सिद्धि, हर्ता कष्ट त्वरित वेगम्
राम-राम जपति नित्यं, प्रति श्वांश विलक्षणम्।
मम् स्वार्थ संसार बुद्धि, शीघ्र नाशनार्थम्
श्री राम नाम ह्रदय "नलिन" प्रदायकम्।
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