I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Thursday, 31 October 2019
गजल:263-हमारी हर आह पर सवाल है
Friday, 25 October 2019
गजल-262:मिलें हों दिल तो
Wednesday, 23 October 2019
गजल-261:दिल आज परेशान है
Tuesday, 22 October 2019
गजल-260 :जन्नत के ख्वाब
गजल-259 : बेपरवाही में
Friday, 18 October 2019
गजल-258 :खरामां-खरामां
गजल-257:परवाने को
परवाने को अपनी मंजिल मिली थी।
आँखों में उसे एक चिंगारी दिखी थी।।
यूँ ही नहीं उमड़ा है प्यार उसके लिए।
देखते ही दिल में एक बाती जली थी।।
खुले आसमां में डोलते हों जैसे बादल।
उसकी अदा उसे यूँही बिंदास लगी थी।।
हवा में हिचकोले खाती पतंग के जैसे।
बातों से अपनी वो तो पलटती रही थी।।
परिंदों की तरह चहचहाना बात-बेबात।
आदत ये उसको बहुत पुरानी पड़ी थी।।
मुद्दतों"उस्ताद"जज्बात रोके हुए था।
बरसात तो गोया अब ये थमनी नहीं थी।।
@नलिन#उस्ताद
Thursday, 17 October 2019
गजल-256:घुट-घुट के
घुट-घुट के यूँ न आप जिया कीजिए।
कहीं न कहीं तो दिल लगाया कीजिए।। नादानी में भी छुपी है कुछ बात बड़ी।
बच्चों से ये जरा सीख लिया कीजिए।।
बहुत बदल गया है ये जमाना हुजूर।
जरा चश्मा तो अपना नया कीजिए।।
पेशानी में बल क्यों पड़ते हैं आपके।
लबों को कभी तो खिलाया कीजिए।। जमाना दिखता है आप जैसा देखना चाहें। खुद का दामन तो कभी टटोला कीजिए।।
"उस्ताद"दो घड़ी की है ये जिंदगी केवल।महकिए और सबको महकाया कीजिए।।
@नलिन#उस्ताद
Wednesday, 16 October 2019
गजल-255:हमें याद करना
फुर्सत मिले तो हमें याद करना।
कभी हमारी भी पूरी मुराद करना।
माना हम नहीं हैं काबिल तेरे।
कभी तो मगर इमदाद* करना।*मदद
दूसरों को शिकस्त देने से पहले।
खुद के भीतर जरा जिहाद* करना।।*धर्मयुद्ध
घोड़ा-गाड़ी,सोना-चाँदी छोड़ कर।
प्यार की हांसिल जायदाद करना।।
हर जगह अंधेरा गला घोंट रहा अब तो।
इल्म ओ हुनर से इसे आबाद करना।।
हो जाती है गुस्ताखी हर किसी से।
माफ हमें तू"उस्ताद"करना।।
@नलिन*उस्ताद
Monday, 14 October 2019
गजल-254: निगाहों में उसकी एक समंदर
निगाहों में उसकी एक समंदर बसता है।
तभी तो वो शायद नमकीन लगता है।।
मचल के तोड़ देता है समंदर सब किनारे।
आसमां से जब भी चांद इशारे करता है।। डूबना भी चाहो तो कहां आसां है डूबना। मौजों से अपनी वो ही किनारे पटकता है ।।
जाने कितनी नायाब राज छुपाए हैं सीने में। बाहर से चाहे ये बड़ा ही खामोश रहता है।। हो चाहे जमाना समंदर के जैसा भरमाता बड़ा गहरा।
"उस्ताद"को तो बस ये बाजीचा*-ए-अतफाल**लगता है।।*खिलौना **बच्चे
(बच्चों का खिलौना)
@नलिन#उस्ताद
साईकिल की सवारी
एक पहल छोटी ही सही
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आओ पैडल मारें एक सुकूं भरी जिंदगी पाने के लिए।
आओ साइकिल चलाएं हम धरा को बचाने के लिए।।
पहल ऐसी सार्थक करनी तो होगी कभी ना कभी।
बना के मुहिम क्यों ना करें कुछ जमाने के लिए।।
यूं तो कदम बहुत छोटा है इस दिशा में ये एक।
बूंद-बूंद से है भरता धड़ा बस यह दिखाने के लिए।।
सुधरेगा स्वास्थ्य इससे न केवल हमारा बल्कि चमन का भी।
काम आएगी ये तरकीब भी धन अपना बचाने के लिए।।
जो फिटनेस रहेगी तो मुट्ठी में रहेगा जमाना हमारे।
वरना तो हर कवायद बताओ करते हैं हम किसके लिए।।
स्वच्छ भारत मुहिम हो या प्लास्टिक- मुक्त धरा की अपील।
करना तो होगा हमें ही नया कुछ रोकथाम करने के लिए।।
@नलिन#तारकेश