Friday, 4 May 2018

तेरी झूठी तसल्ली भी काफी है मेरे लिए

तेरी झूठी तसल्ली भी काफी है मेरे लिए।
देख यूॅ तो खड़े ही हैं गम ले हार मेरे लिए।।

मेरा लिखा हरफ(शब्द)पढ़ता तो है वो बहुत गौर से।
मगर जाने क्यों कभी कहता नहीं कुछ भी मेरे लिए।।

कह के तो चला गया वो बहुत कुछ अजब अपनी मौज में।
खुदा ही जानता है वक्त मुश्किल था कितना मेरे लिए।।

अजीबोगरीब हालात भी क्या खूब जिंदगी में बने।
खुशी का तराना भी भर गया आंख में आंसू मेरे लिए।।

महज एक सीढी की तरह इस्तेमाल करता है मुझे वो तो।
सच कहूं तो वजूद मेरा चाहा ही कहाॅ उसने मेरे लिए।।

किसी न किसी हुनर से यहां सभी को है उसने बख्शा हुआ।
बतौर"उस्ताद"कबूल है तभी तो हर शख्स मुझे मेरे लिए।।

@नलिन #उस्ताद

No comments:

Post a Comment