Saturday, 26 May 2018

फ्रांस से अभिभूत -2

ख्वाबों को भी है रश्क हो रहा हकीकत के रंग देख कर ।
काटते खुद को चुटकियाॅ गजब के फैले अजूबे देखकर।
मिजाज-ए-मुल्क से मेरे जमीं आसमां का यहां फासला।
होगा ना कौन भला मदहोश नजारा यहां का देखकर।।

खुशगवार मौसम,हसीन चेहरे मुस्कुराते मिलते।
जोश-ए-जज्बात तो भर जाता है बस यही देखकर।।

एक ताजगी अलग है खुशबू सी बिखरी चारों तरफ।
मचल रहा है दिल-ए-नादां आलम यहां का देखकर।।

सुर्खाब के पर"उस्ताद"जान रहा उगते हैं कैसे।
इनायत बेहिसाब बरसती खुद पर खुदा की  देख कर।।

@नलिन #उस्ताद

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