Tuesday, 12 July 2016

सावन के बादल उमड़ -घुमड़ इतनी करते


सावन के बादल उमड़ -घुमड़ इतनी करते 
मन-मयूर नाच उठता कदम हैं थिरकते। 
धरती का आंचल हर दिशा हरा-भरा कर देते।  
कृषक,साहुकार,जन-सामान्य फलते-फूलते। 
नदी,तालाब,सिंधु,पोखर सब उमगते 
जीव-जंतु खुशहाल विचरते दिखते। 
बाल-वृन्द,नौजवान वृद्ध सब विहसते 
अपनी-अपनी तरह से खूब आनंद लेते। 
प्रकृति के रंग क्या अदभुत नित सवंरते 
आकाश चित्रपट जब प्रभु तूलिका चलाते। 

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