Monday, 11 July 2016

सावन के बादलों की तरह हम भी


सावन के बादलों की तरह हम भी 
कहीं उमड़-घुमड़ बस बरस पड़ें। 
उत्तर,दक्षिण ,पूरब,पश्चिम कहीं भी 
आओ किसी दिशा हम निकल पड़ें। 
खेत,खलियानों,मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा 
जगह-जगह पर,मोड़-मोड़ पर बरस पड़ें। 
अमीर-गरीब,जात-पाँत से बंधन मुक्त 
गली,मुहल्लों के हर रस्ते गुजर पड़ें। 
काम करें कुछ ऐसा अपने जीवन में 
सुख,शांति स्वर हर आँगन में गूँज पड़ें। 

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