यूँ मुझे अभी तो लगता यही है
कि मेरे हाथ में कुछ भी नहीं है।
पर अगर किंचित भी है कहीं
कर्म की पूँजी मेरे पास भी
और बदल सकता हूँ मैं रास्ता
तो बस यही है निवेदन मेरा
देना मुझे शक्ति और भरोसा
कि कभी गलती से भी न
अहंकार जरा सा पाल लूँ
जो भी करूँ,एक तो बस
अपने को तेरे लायक बना सकूँ
दूसरा यही कि जो भी करूँ
उसे कृपा प्रसादी तेरी मान सकूँ।
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