Saturday, 20 February 2016

तिरंगे तू मेरे वतन की आन-बान और शान रहा है




तिरंगे तू मेरे वतन की आन-बान और शान रहा है
तू ही तो प्यारे असल में मेरे भारत का ताज रहा है।
रंग केसरी,श्वेत,हरा जब-जब तू फरफराता रहा है
शौर्य,शांति,विकास का गीत तू हमेशा गाता रहा है।
काल चक्र जैसे अनवरत सृष्टि में सदा बहता रहा है
तीली चौबीस सजा उर,दिन-रात का तू प्रतीक रहा है।
देख-देख सबका तुझे  गर्व से सीना फूल जाता रहा है
राष्ट्र-निष्ठा की शपथ तू हमेशा हमें याद दिलाता रहा है।
हर सैनिक वीर शहीद का तू सदैव प्रेरणा स्रोत रहा है
खेल-कूद में जीत का ज़ज्बा तू ही तो भरता रहा है।
वतन की मिटटी,मिटटी नहीं माँ का आँचल रहा है
तिरंगे अमर तू यही भाव तो हमें सीखाता रहा है।
ये अलग आज कि तुझ पे ही कोई सवाल उठ रहा है
दिले-महबूब से पर भला प्यार का कोई वक्त रहा है।
आसमां साफ,शुभ्र प्रकाश तब तो सवाल ये ठीक रहा है
पर घुप्प अँधेरे तुझसे ही तू उजाला हर पथ होता रहा है।
नमक-हराम,राजनीति को जो तुझसे जोड़ रहा है
कसम"तिरंगे"की वो अपनी ही कब्र खोद रहा है।
लाल भारत का हर सांस तुझसे ही जो लेता रहा है
जान न्योछावर के लिए आज वो तो  मचल रहा है।


















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