Sunday 14 February 2016

देश के हालात दिन ब दिन बद्तर होते जा रहे



देश के हालात दिन ब दिन बद्तर होते जा रहे 
सब भांड सेक्युलर,गद्दारोँ से मिलते जा रहे। 
जाने किस मिटटी से बना है इन सबका ज़मीर 
ये तो सपोलोँ से ज्यादा विष वमन करते जा रहे।
जिस थाली में खाते उसी में थूकते इन्हें लाज नहीं 
पागलोँ को क्यों हम"बुद्धिजीवी"का तमगा देते रहे। 
अभिव्यक्ति के नाम पर नंगा नाच जो कर रहे 
खुदा जाने क्यों इन पर हम इतने मेहरबां हो रहे। 
भगत,आज़ाद,...हनुमतथप्पा से हज़ार शहीद हो गए 
देश में कैसे मगर ये राष्ट्रद्रोही खाद-पानी पा रहे। 
बहस,मुखालफ़त,झगड़े हर बात चाहे हम हज़ार करते रहें 
नेता,पुलिस,कानून,मीडिया देश की खातिर अब एक रहे। 
"शठे - शाठ्यम" की नीति से अब भी परहेज़ करेंगे अगर 
पाँव तले इंच भर जमीं भी ना फिर "उस्ताद" कल बाकी रहे। 

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