Thursday, 18 February 2016

जब भी नाम लिया तुम्हारा




जब भी नाम लिया तुम्हारा
मुश्किलों से हुआ किनारा।
हर शख्स की जुबान पर
गुलज़ार हुआ नाम हमारा।
दिन को रात,रात को दिन बनाया
जैसा चाहा तूने मेरा वक्त बनाया।
तेरी चौखट झुका के माथा
हमने खूब नाम कमाया।
मेरी खातिर तूने जाने
 कैसा -कैसा वेष बनाया।
ज़र्रा -ज़र्रा महक रहा है
जब से तूने गले लगाया।   

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