टेढ़े मेढ़े रास्तों में जिंदगी के बहते रहे।
गुजरे जिधर से खुशियां बिखेरते चले।।
तूफान तो आए कदम दर कदम परखने।
बेपरवाह मस्त चाल हम तो चलते दिखे।।
रंजिश,बद्दुआ किसी के लिए भी क्यों हो।
गूंजे फ़िजा में बस सबके साथ हंसी-ठठ्ठे।।
दूर होकर भी कहाँ उससे हुआ भला फासला।
दिलों के तार जब रहे एक सुर-ताल मिले हुए।।
"उस्ताद" मंजिल की तलाश में भटकना क्यों।
हर कदम जब तेरी ही चौखट पर सजदा करे।।
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