वंदनीय बाल रूप श्रीराम का
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अद्भुत अप्रतिम रूप लावण्य,मेरे मनमोहक बाल रूप राम का।
देख नयनाभिराम मंगल छवि,बन गया हूँ मैं चकोर,रामचंद्र का।।
नील-वर्ण,नीलकांति,दीप्तिमान मुखमण्डल छवि,मन करे चूमने का।
श्वेत मोतियों सी नन्ही दंतपंक्ति,मिटाती अज्ञान अखिल सृष्टि का।।
केश घने काले,उमड़ते-घुमड़ते,बनाकर रूप बादलों का।
करते उपक्रम,उर्वर-हृदय में,भक्ति-फसल,लहलहाने का।।
"नलिन" नयन कृपा कटाक्ष कर,हरते दुःख संताप प्राणियों का।
तारकेश्वर शिव भी अनवरत करते जाप जिनके सुधारस नाम का।।
अधर अमृत में पगे सुर्ख लाल,आभास देते रवि प्रकाश का।
उन्हीं से लगे जूठन को पा,तृप्त होता उदर,शिरोमणि काग का।।
पवनसुत निरंतर निरख नख-शिख,अपने परम-पूज्य आराध्य का।
संजीवनी लाकर जिलाते लखन सदृश शरणागत भक्त श्रीराम का।।
Very nice
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