एक पहाड़ी गीत महिलाओ की स्थितियों पर
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मठु-माठ* भलि के उतरिए पहाड़ ओ बैना**।*धीरे-धीरे ** बिटिया/बहन
मठु-माठ भली के उतरिए पहाड़।।
जाडें छी अगर तू भांवर* या फिर मीना-बाजार।*प्रदेश
झन फोड़ लिए ओ चेली तू अपुण यो कपार*।।*माथा
मठु-माठ भलि के उतरिए पहाड़ ओ बैना।
मठु-माठ भली के उतरिए पहाड़।।
मैश* कां रह गईं सब जाग छन आदमखोर बाघ।*आदमी
तू नादान,जमाड़ थें अनजान वां रुणी* सब घाघ।।*रहते
मठु-माठ भलि के उतरिए पहाड़ ओ बैना।
मठु-माठ भली के उतरिए पहाड़।।
उत्तराखंड छू देवभूमि हमार लिजी धरिए तू येक लाज।
डबलनैक* टोटा जरूर भे पर यंई छू हमर असल मान।।*रूपया
मठु-माठ भलि के उतरिए पहाड़ ओ बैना।
मठु-माठ भली के उतरिए पहाड़।।
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