सांवरे के रंग में अपने बावली जब से हो गई।
प्रीत जन्मों की पुरानी अपनी वो याद आ गई।।
सरताज है वो तो अलबेला इस सारे जहाँ का।
मैं उसकी रही हूँ सदा से वो बात याद आ गई।।
शायद हो गई थी उससे किसी बात पर अनबन।
चलो कम से कम आज गलती वो याद आ गई।।
अब तो रोज रास-रंग होगा धाम में संग-साथ उसके।
झूम-झूम गाने की पुरानी नोकझोंक वो याद आ गई।।
"नलिन" नैनों में सपनो की चढ़ी जो इंद्रधनुषी चटख बेल।
खुमारी जो उतरती नहीं लो हकीकत में वो याद आ गई।।
नलिन@तारकेश
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