Saturday, 4 November 2023

609:ग़ज़ल towards Singapore

दीपावली in Malaysia 

खुदा के मन की भी भला कौन जानता है।
वो तो हर घड़ी हमें कौतुक में डालता है।।

जो निकलते नहीं घर से दो कदम बाहर।
दुनिया जहां उन्हें घुमा-फिराकर लाता है।।

किसी चेहरे पर गम तो कहीं खुशी दिख रही।
बातें वही सब मगर हौसला वही दिलाता है।।

जुल्फों को खोला उसने तो हैरान थे सब।
भला सुबह-सुबह ये कौन रात सजाता है।।

जिन्दगी के शरार* कम न हों हर हाल में कभी।*जोश
"उस्ताद" ये जज़्बा तो बनाकर रखना पड़ता है।।

2 comments: