Monday, 7 March 2022

गजल: तुम्हारा"उस्ताद"

आओगे एक बार फिर से तुम्हीं ये तो सबको यकीं है।
देर-सबेर अब तो बन्द आँख बहुतों की खुल गयी है।।

पत्थर भी रंगीन हो गए हैं सारे ख़ैर-म़कदम की खातिर ।
जलवाए किरदार की देख नई तारीख यूँ गढ़ी जा रही है।।

केसरिया फाग की मस्ती को देखके हरेक दहलीज पर।
कसम से इस्तकबाल को बहार बड़ी बेकरार दिखती है।।

अरमानों को पंख तो तुमने ही लगाए हैं हमारे दिलों में।
उड़ान भरने का जुनून तभी तो सिरों पे सबके हावी है।।

जादू तो चलना बस शुरू ही हुआ है तुम्हारा"उस्ताद"।
ये कायनात यूँ ही नहीं सारी धड़कती दिखने लगी है।।

@नलिनतारकेश

2 comments:

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    1. Great...👍 I wish these words come true The God shower blessings upon millions of Bharatwaasi to fulfill the precious wish...Amen.. .🙏🙏

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