Wednesday 26 January 2022

418:गजल-हर गली वो गाते नहीं हैं

तेरे बगैर इस जिंदगी के कोई मायने नहीं हैं।
जाने क्यों फिर भी हम कद्रदान तेरे नहीं हैं।।

जब सिर पर ही टूटने लगे मुसीबतों के पहाड़।
याद आए तभी तू यूं प्यार तुझसे करते नहीं हैं।।

ईमान,प्यार,सिर्फ बातें ही बातें हैं यहाँ अब सभी। 
सच कहें तो खुद पर ही रहा एतबार हमें नहीं है।।

बेगरज़ जो लगे हैं गुरबतों का पसीना पोछने में।
बगैर जाने भी दरअसल वो अंजान तुझसे नहीं हैं।।

जुनून जिनमें होता है तुझे पाने की खातिर खालिस। 
इजहारे मोहब्बत "उस्ताद" वो हर गली गाते नहीं हैं।।

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