Wednesday, 19 January 2022

414:गजल- निभाया नहीं

जिसकी खातिर लिखा था खत उसने ही पढ़ा नहीं। 
पढ़ लिया उन सबने जिनके लिए था लिखा नहीं।।

ये कैसा इकरारे मोहब्बत का सलीका है तुम्हारा।
प्यार किया हमसे मगर कभी उसे निभाया नहीं।।

दामन में हमारे थे क्या कांटे कम यूँ ही पहले से।
ए चारागर* तूने कभी मरहम पर लगाया नहीं।।
*डाक्टर 
प्यार की राहें होती नहीं आसान ये तो खबर थी।
डूब जायेंगे साहिल* पर खड़े-खड़े ये था पता नहीं।।
*किनारा
फूलों के होठों पर तबस्सुम* की चर्चा होती आम है।
* मधुर मुस्कान 
प्यार को किसी ने इस कदर शिद्दत से निभाया नहीं।।

छोड़ी है दुनिया हमने बस एक तेरी ही खातिर।
"उस्ताद" जाने क्यों तूने भी हमें अपनाया नहीं।।

@नलिनतारकेश

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