Sunday, 30 January 2022

419: गजल- भर दे हामी

मिलते रहिए हमसे कभी-कभी।
वरना भूल जाएंगे हमको आप यूंही।।

दिखाए हैं ख्वाब आपने अक्सर हमको कई।
रंगे हकीकत का पहनाइए तो लिबास सही।।

हर शख्स को है आपकी जरूरत ये माना। 
मगर हम तो रहे हैं कतार में सबसे पहली।।

रखे हैं रोजे बस आपके नाम से एक उम्र से। 
जाने क्यों फिर भी आप हैं कि मानते नहीं।।

"उस्ताद" तेरे नाम की महक से हम खिलते हैं।
भर दे हामी मिलने कि चाहे फिर झूठी ही सही।।

@नलिनतारकेश

Wednesday, 26 January 2022

418:गजल-हर गली वो गाते नहीं हैं

तेरे बगैर इस जिंदगी के कोई मायने नहीं हैं।
जाने क्यों फिर भी हम कद्रदान तेरे नहीं हैं।।

जब सिर पर ही टूटने लगे मुसीबतों के पहाड़।
याद आए तभी तू यूं प्यार तुझसे करते नहीं हैं।।

ईमान,प्यार,सिर्फ बातें ही बातें हैं यहाँ अब सभी। 
सच कहें तो खुद पर ही रहा एतबार हमें नहीं है।।

बेगरज़ जो लगे हैं गुरबतों का पसीना पोछने में।
बगैर जाने भी दरअसल वो अंजान तुझसे नहीं हैं।।

जुनून जिनमें होता है तुझे पाने की खातिर खालिस। 
इजहारे मोहब्बत "उस्ताद" वो हर गली गाते नहीं हैं।।

Tuesday, 25 January 2022

गजल 417:बेखटके मशवरे को आ जाना

ज़ाहिद* की बातें तो वही समझ सके जिसने की बंदगी कभी। 
चौखट पर उसके सजदों से दिखावटी बात नहीं बनती कभी।।
*सांसारिक प्रपंचों से दूर भागवत भक्त 

किसी की आंख में आँसू का एक कतरा भी दिख जाए तो। कहाँ सुकून से एक झपकी भी ले पाती है नेकदिली कभी।।

दिले जज्बात को अपने सीने से दबा कर न रखा कीजिए हुजूर।
बेसाख्ता लबों पर लाइए यूँ कल की किसको खबर रही कभी।।  

महफिले मयखाने में नशा वो मिलेगा नहीं जो चढ़के बोले। 
जरा नजरें मिला कर देखिए तो उनसे जनाबे आली कभी।।

मुसाफिर हो तुम उन्हीं रास्तों के जिन से गुजरे हैं "उस्ताद" हम। 
बेखटके मशवरे को आ जाना सुनाने हमें परेशानी अपनी कभी।।

@नलिनतारकेश

Friday, 21 January 2022

गजल :416- शादाब उस्ताद ए दिल

तेरे नाम के सिवा आता नहीं कुछ जुबां पर मेरी।
झूठ नहीं सच ही कह रहा हूँ कसम है मुझे तेरी।। 

रोता बिलखता हूँ रात दिन चाहत मैं बस एक  तेरी।
सिवा इसके इबादत मुझे कुछ जुदा आती ही नहीं।।

गुल खिले हैं गुलशन में परिंदे भी चहक रहे हैं हर तरफ।
जगह-जगह बस एक तेरी ही आवाज गूंजती मिल रही।।

बेखौफ चहल-कदमी कर रही है सर्द हवाएं जरा देखिए।
फटी गुदड़ी जी रहा गरीब इनायते करम सिवा कुछ नहीं।।

अब आ भी जाओ "आफताब"* तुम मेरे जहां भी हो छुपे हुए।*सूर्य/आत्मरूप ईश्वर 
भर सकते हो  तुम्हीं शादाब* "उस्ताद" ए दिल एक तुम्हीं।।*तर ओ ताज़गी 

@नलिनतारकेश

Thursday, 20 January 2022

गजल:415: श्रद्धापूर्वक नमन पंडित बिरजू महाराज जी को

पंडित बिरजू महाराज जी को सादर श्रद्धापूर्वक नमन 
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आपसे आप ही रहे दूजा तो हमने कसम से कभी देखा नहीं।
नृत्य,लय,ताल पर ऐसा बारीक अमिट अभिनय सोचा नहीं।।

मोहक-व्यक्तित्व,अप्रतिम ओज संग,मधुर-मुस्कान आपकी।
कृष्ण के लीला सहचर रहने पर आपके अचरज होता नहीं। 

गिनती की तिहाई,टुकड़ों का रंग जिसने भी देखा है साक्षात आपका।
हृदय उसके शतदल "नलिन" खिला न हो ऐसा हो सकता नहीं।

अजर-अमर नायक वीणापाणि के सदा रहे विरल कृपा पात्र।
इंद्रधनुषी रास-रंग वैसा नख-शिख,हतभाग्य अब दिखेगा नहीं।

घुघुरुओं की थाप ने सुधा-रसधार अद्भुत समां बांधा मंच पर।
सुधिजन निसंकोच कहते "उस्ताद" अब ऐसा पैदा होगा नहीं।।

@नलिनतारकेश

Wednesday, 19 January 2022

414:गजल- निभाया नहीं

जिसकी खातिर लिखा था खत उसने ही पढ़ा नहीं। 
पढ़ लिया उन सबने जिनके लिए था लिखा नहीं।।

ये कैसा इकरारे मोहब्बत का सलीका है तुम्हारा।
प्यार किया हमसे मगर कभी उसे निभाया नहीं।।

दामन में हमारे थे क्या कांटे कम यूँ ही पहले से।
ए चारागर* तूने कभी मरहम पर लगाया नहीं।।
*डाक्टर 
प्यार की राहें होती नहीं आसान ये तो खबर थी।
डूब जायेंगे साहिल* पर खड़े-खड़े ये था पता नहीं।।
*किनारा
फूलों के होठों पर तबस्सुम* की चर्चा होती आम है।
* मधुर मुस्कान 
प्यार को किसी ने इस कदर शिद्दत से निभाया नहीं।।

छोड़ी है दुनिया हमने बस एक तेरी ही खातिर।
"उस्ताद" जाने क्यों तूने भी हमें अपनाया नहीं।।

@नलिनतारकेश

Monday, 17 January 2022

413: दुनिया ए मौज

क्या कहें,क्या ना कहें,तुझसे अक्सर यही सोचते हैं।
तू जानता है सब हाल अपने,सो नहीं कुछ कहते हैं।।

हर तरफ बस तेरी ही इनायते करम का बाजार गर्म है।
दर पर तेरे तभी तो हम,टकटकी लगाए खड़े रहते हैं।।

दर्द,तकलीफ तो बेशुमार है इस मुस्कारते दिल में।
मगर तौबा,तेरी कसम बस चुपचाप सहा करते हैं।।

बगैर रजा के तेरी कहाँ हिलता है यहाँ एक भी पत्ता।
खता मानकर कहाँ इल्जाम तुझ पर मगर मढ़ते हैं।।

जब से नजरें चार तुझसे हो गई हैं यारब सच में।
दुनिया ए मौज हम चुपचाप "उस्ताद" लेते हैं।।

@नलिनतारकेश