Friday 16 March 2018

वो तो बस एक आम इंसान था


वो तो बस एक आम इंसान था जो मिला था। खुदा का मगर उससे ही मुझे पता मिला था।।

दुनियावी रास्ते होते ही हैं पैंचोखम लिए।
हां हौसला रखा तो रास्ता सपाट मिला था।।

माल,असबाब कहो क्या नहीं था उसके पास। मौत से मगर वो तो खाली हाथ ही मिला था।।

दौलत शोहरत थी जब तलक सब सगे रहे उसके।
धूल फांकते हुए ग़मज़दा वो बस तन्हा मिला था।।

महज चंद सिक्कों के लिए जब खुदकुशी को जाने लगा वो।
बच गया,रास्ते में मासूम,हंसता बच्चा जो मिला था।।

रोती,ददॆ की बाॅहों में पिघलती गजल लिखना आसान कहाॅ।
ये फन तो यार बस डूबने से ददॆ के सैलाब ही मिला था।।

दर्द पीना चुपचाप और नुस्खा भी जिंदा रहने का।
"उस्ताद" को तो  मेहरबानी से बस उसकी मिला था।।

@नलिन #उस्ताद

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