Saturday, 31 March 2018

जय भक्त हनुमान

हनुमानजी महाराज के पावन प्राकटोत्सव की  बहुत-बहुत बधाई के साथ।।जयश्रीराम।।
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जय जय हो हे परम पूज्य,पवन पुत्र हनुमान। तुम जब हो साथ हमारे,क्यों रूठें भगवान।।

राम-चरण में रति तुम्हारी,निश्चल निर्विकार। उनके कारज हित लाॅघ गए,अथाह जलागार।।

खोज सुधि मां सीता की लाए,ऐसे तुम बलवान।
भक्त शिरोमणि हो तुम तो,हम पतितों के प्रान।।

लखनलाल पड़े भूमिपर,खो जब निजसंज्ञान।
प्राण बचाने बूटी लाए,तुम तुरत-फुरत हनुमान।।

सुग्रीव,विभीषण भेंट करवायी तुमने ही श्रीराम।
दोनों को फिर राज दिलाया,पर स्वयं सदा निष्काम।।

"नलिन"नयन छवि बसा दो,अब तुम अपने आराध्य।
कुछ और नहीं है विनती मेरी,बस यही एक है साध्य।।

@नलिन #तारकेश

Friday, 23 March 2018

साई तुझसे बड़ा मददगार


साई तुझसे बड़ा मददगार मेरा कोई नहीं है। तेरे बिना कभी कोई काम मेरा बनता नहीं है।।

तेरी ही रहनुमाई से खिलखिलाता रहा हूं।
वरना तो यहां कोई मेरा हमदर्द नहीं है।।

जो तू करता है मेरे लिए वो ही मुफीद होगा। यही सोचकर तो किसी बात की मुझे फिक्र नहीं है।।

तेरी झोली से जब मिल जाता है खजाना सुकून का।
तभी तो हीरे मोती से पत्थर की दरकार नहीं है।।

नवा शीश कदमों में और लगा उदी माथे। दुनियावी किसी बात का मुझे खौफ नहीं है।।

हर तरफ बहुत ढूंढा जो मुझे खुद से मिला दे।
सच कहूं मिला"उस्ताद"तुझसा कोई नहीं है।।

@नलिन #उस्ताद

Tuesday, 20 March 2018

खुदा जब भी कभी तेरे साथ होता है

खुदा जब भी कभी तेरे साथ होता है।
सारी कायनात का दिल साथ होता है।।

आंखों की कशिश कभी तो पढ़ कर देख उसकी।
खुमार उसका सब कुछ ज़ेहन से भुला देता है।।

एक बार तुझे जो रीझ कर अपना बना ले।
फिर ना कभी वो कहाॅ दगाबाज होता है।।

बस एक बार शिद्दत से जो उसका नाम ले लिया।
दिनभर तेरा मस्तानापन साथ होता है।।

उस की चौखट सिर रखकर सो सकते हो तुम आराम से।
दुनियावी झंझटों का नहीं कतई फिर खौफ होता है।।

तुम जो सोचो कि फुसला सकोगे झूठी बातें बना के।
मुमकिन नहीं वो तो पढ़ने में हर दिल'उस्ताद' होता है।।

@नलिन #उस्ताद

Sunday, 18 March 2018

भारतीय नववषॆ की शुभकामना

यशस्वी विक्रमादित्य नृप के नाम से होती भारतीय नववषॆ गणना।
मां भगवती के चरण चुंबन को भक्त प्रारम्भ करते नवरात्रि साधना।।

पितामह प्रजापति ने प्रारंभ की थी प्रथम सूर्य रश्मि से इसी दिन सृष्टि रचना।
श्रीराम और पांडवों के राज्याभिषेक का दिन तभी ये चुना गया करने धर्म स्थापना।।

संयोग नहीं मात्र झूलेलाल,गौतम ऋषि और सिखगुरु अंगदजी का जन्म लेना।
परास्त कर हूण को शालिवाहन का दक्षिण दिशा इसी दिन राज्य की स्थापना।।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से दरअसल भारतीय नव वर्ष का प्रारंभ होना।
संकेत है वसंत के आगमन से प्रकृति का उमंग में झूमना।।

वृक्ष पर आम के बौर आना और कोयल का मधुर कूकना।
तभी तो बड़ा है सामयिक अपने नव वर्ष का श्री गणेश करना।।

विक्रम संवत 2075 की अतःआपको देता हूॅ शतकोटि शुभकामना।
नित्य करें नवग्रह सभी उल्लास नतॆन आपके घर ऑगना।।

@नलिन #तारकेश

Friday, 16 March 2018

वो तो बस एक आम इंसान था


वो तो बस एक आम इंसान था जो मिला था। खुदा का मगर उससे ही मुझे पता मिला था।।

दुनियावी रास्ते होते ही हैं पैंचोखम लिए।
हां हौसला रखा तो रास्ता सपाट मिला था।।

माल,असबाब कहो क्या नहीं था उसके पास। मौत से मगर वो तो खाली हाथ ही मिला था।।

दौलत शोहरत थी जब तलक सब सगे रहे उसके।
धूल फांकते हुए ग़मज़दा वो बस तन्हा मिला था।।

महज चंद सिक्कों के लिए जब खुदकुशी को जाने लगा वो।
बच गया,रास्ते में मासूम,हंसता बच्चा जो मिला था।।

रोती,ददॆ की बाॅहों में पिघलती गजल लिखना आसान कहाॅ।
ये फन तो यार बस डूबने से ददॆ के सैलाब ही मिला था।।

दर्द पीना चुपचाप और नुस्खा भी जिंदा रहने का।
"उस्ताद" को तो  मेहरबानी से बस उसकी मिला था।।

@नलिन #उस्ताद

Wednesday, 14 March 2018

बुलंदियों को बटोरते रहना चाहिए

बुलंदियों को बटोरते रहना चाहिए।
कदम हर हाल मगर जमीं रहना चाहिए।।

तूती बोलती हो हर जगह तो भी।
शहद ही लफ्ज़ों से टपकना चाहिए।।

प्यार करो,जिसको करो,शिद्दत से करो।
किसी के दिल से मगर ना खेलना चाहिए।।

चालाकी,झूठ,फरेब से कब तक हांकोगे जिंदगी।
आह से तुझे मजलूम की सदा बच के रहना चाहिए।।

जाने क्यों वो इतना मगरूर है कहो।
खुदा का कुछ तो उसे खौफ रहना चाहिए।।

जर्रे जर्रे में जब दिखता है उसका ही अक्स।
नूर तुझमें भी तो"उस्ताद"वो ही रहना चाहिए।।

@नलिन #उस्ताद

Monday, 12 March 2018

नींद आती नहीं

नींद आती नहीं ।
सुबह आती नहीं।

जिंदगी एक पहेली।
मुझसे सुलझती नहीं।।

जुबाॅ की गलतबयानी।
अब जरा सुलटती नहीं।

तेरी निगाहों की कशिश।
मुझसे तो भूलती नहीं।।

उलझी सी तेरी जुल्फें।
मुझसे तो संवरती नहीं।।

कैसे लिखूं मौज तेरी।
कलम मेरी चलती नहीं।।

करवटें बदलने से मगर।
मुराद पूरी होती नहीं।।

रात है और तन्हाई भी।
सो उम्र ये कटती नहीं।।

छलछलाती मय देख कर भी।
नियत मेरी डोलती नहीं।।

करवटें बदलने से मगर।
मुराद पूरी होती नहीं।।

"उस्ताद"गली के सिवा तेरी।
जान भी मेरी निकलती नहीं।।

@नलिन #तारकेश

गजल-100 ऑखों में उसकी सपने देखता हूॅ

ख्वाबों में उसका नजारा देखता हूं।
मैं तो अक्सर टूटा तारा देखता हूं।।

रहता रहे चाहे जहां कहीं भी वो मगर।
हर घड़ी उसे अपना सहारा देखता हूं।।

भला क्यों नजूमी*से जनमपत्री विचरवाऊं।*ज्योतिषी
उसमें अपना मुकद्दर जब सारा देखता हूं।।

जमाने की मुश्किलें हमारे लिए तो कुछ भी नहीं।
जाना जब किसी औरत को बेचारा देखता हूं।।

सेंसेक्स बुलंदियों को छूता है जब भी। किसानों का ददॆ बड़ा खारा देखता हूं।।

बड़े एहतराम*उसने अपनी चौखट बुला लिया। *आदर
तौफीक* मैं उसका होकर प्यारा देखता हूं।।
*ईश्वर अनुकम्पा

सो नहीं पा रहा अब रात भर"उस्ताद"कसम से।
सांपों का जब"गठबंधन"हत्यारा देखता हूं।।

@नलिन #उस्ताद

Friday, 9 March 2018

नारी ▪▪▪▪▪▪तुम प्रकृति सी

सृष्टि के वामांग भाग हेतु सादर प्रेषितः
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नारी जाने क्यों तुम बनना चाहती हो मुझ सी। निष्प्राण,जड़,ठूंठ,निर्दयी संवेदनहीन पुरुष सी।।

तुम तो हो लबालब उमंग भरी अक्षयपात्र सी। प्रेम,करुणा,ममत्व की सदा बहती नदी सी।।

आतंक,क्रोध, हिंसा कि कहां जगह तुम में जरा सी।
पीड़ा,दुःख,कष्ट हरती पल में संजीवनी बूटी सी।।

आंचल में पालती,पोषती जीव को देवी निस्वार्थ सी।
अंगुली पकड़कर सीखाती हो हर एक कदम चलना सद्गुरु सी।।

मेरे वामांग में धड़कती हो जो अजस्र सुधा रस सी।
देती चेतना को मेरी अनंत विस्तार नील गगन सी ।।

दुहिता बनकर आंगन में हो कूकती फिरती कोयल सी। 
परिणीता हो देहरी चटक रंग भरती इंद्रधनुष सी।।

पुरुष तो है ईश्वर की एक रंगहीन,अनगढ कृति सी।
नवरस,सोलह श्रृंगारों से रची-बसी तुम  प्रकृति सी।।

अनगिनत रंग,रूप,रिश्ते सींचती तुम सदा बरखा सी।
न होती कहीं तुम अगर,वसुंधरा ये होती नरक सी।।

@नलिन #तारकेश