इश्क करना हमको आसां तो है बहुत लगता यारा।
जिस्म से रूह का सफर मगर है उलझा हुआ यारा।।
कभी गर्म रेत पर,तो कभी गले-गले डूब के चलना।
ये प्यार का सफर महज़ फूलों का नहीं होता यारा।।
वो आ तो गया है दरिया ए हुस्न में तैरते हुए दूर तलक।
दिल ए जज़्बात में मगर आया नहीं उसे भीगना यारा।।
उड़ने लगो तो नीला आसमान भी लगता छोटा बहुत।
होता है जब ज़िक्र प्यार का अहसास यही रहा यारा।।
"उस्ताद" हम तो हवा के मानिंद,बहते रहते हैं हर घड़ी।
यूं ये फन है बड़ा मुश्किल,समझ तेरे नहीं आना यारा।।
नलिन "उस्ताद"
Wah ustad wah😍👍
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