निभाना आसान है बड़ा जानिए यूं दुनियादारी को।
कांटों पर तो है चलना हर कदम लेकर खुद्दारी को।।
उनकी चौखट तक हम आ तो गए कलेजा थामे हुए।
सदा दें मगर उन्हें कहिए कैसे सर-ए-आम दोपहरी को।।
जिंदगी की राहें ना पहले कभी आसान थी ना अब हैं।
हर हाल जीकर मगर देखना तो होगा इस जिंदगी को।।
सीधे-साधे रास्ते पर चलते रहिए आप चुपचाप बस।
ज्यादा हवा मत कभी दीजिए अपनी तलाबेली* को।।
*लालसा
एक फुहार में कितनी उम्मीद लिए गुल फिर खिल गए।
"उस्ताद" खुद पर भी तो आजमाएं जरा इस कसौटी को।।
नलिन "उस्ताद"
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