जिंदगी का फलसफा बांधके रखो।।
हर कोई यहां गमों के साथ जी रहा।
तुम तो कलेजा मजबूत बनाए रखो।।
किसी पे इल्जाम क्यों मढ़ते हो भला।
न भीगना चाहो तो साथ छाते रखो।।
मंज़र तो अभी देखने हैं और भी हंसी।
बस दिल कसकर तुम जरा थामे रखो।।
बांस के जंगल में दरख्त तो सब होंगे बड़े।
"उस्ताद"किरदार तुम अपना संभाले रखो।।
नलिन "उस्ताद"
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