सुकून से सलीके से जज़्बात अपने बयां करके देखिए।
फिर कौन नहीं सुनेगा आजमाइश करके जरा देखिए।।
हर आदमी भूखा है अगर तो महज़ एक प्यार का यहां।
कभी किसी के संग ज़रा मुस्कुरा के गुफ्तगू तो कीजिए।।
जिंदगी के सफर में हर कोई कभी थककर टूट जाता है।
कुछ न कर सकें तो भी बस जरा आप पीठ थपथपाइए।।
खुदा की नेमत है आप पर तो ये शानो-शौकत दिख रही।
खुले दिल से बांट बस जरा इसको हर दिन बढ़ाते जाइए।।
जंगल में रहकर दुनियादारी से खुद को बचा तो लेंगे आप।
रहकर मगर "उस्ताद" उसके बीच ही पाक दामन दिखाइए।।
नलिन"उस्ताद"
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