चाहत तो होती है सभी को अपने आपके दीदार की।
मगर असल चेहरा देख कहां सुनता है वो आईने की।।
हर शहर की हर गली जहां-जहां से भी हम निकले हैं।
हर तरफ़ तेरे जलवा ए ज़लाल की हो रही चर्चा सुनी।।
ये चांद सितारे,ये रंगो महताब हर तरफ़ जो हैं बिखरे हुए।
तारीफ कर सकूं कारीगरी की,है कहां लफ्ज़ ए ताब मेरी।।
वो महफिल में आया तो सही मगर फिर रूठके चला गया।
अजब-गजब अदा है उसमें बच्चों की तरह मचलने जैसी।।
"उस्ताद" हम तो कायल हो चुके हैं उसके फन के दिल से।
यूं देखने को कायनात सारी, ये जिंदगी है बहुत-बहुत थोड़ी।।
नलिन "उस्ताद"
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