साथ उसके,सूखे दरख़्त का भी रंग हरा होता है।।
ज़ख्म देकर मरहम लगाने से,भला है क्या फायदा।
जनाबे आली,दर्द इससे तो और भी गहरा होता है।।
जब भी उसकी चौखट पर जा,हमने सजदा किया।
न जाने कहां ये दर्द उड़नछू,सारे का सारा होता है।।
दिल का जो अजीज हुआ,तो फिर कहां वो गैर रहा।
प्यार का रंग तो यही है,जब-जब गहरा चढ़ा होता है।।
"उस्ताद" हमने तजुर्बे से अपने यही देखा और पाया है।
आदमी कोई हो,गरीब या अमीर,बस दिल से होता है।।
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