कोई तो है जो मेरे भीतर ही रहता ।
हंसता मुस्कुराता,दिन भर नाचता रहता।। भीषण मेरे अंतर जो चक्रवात चलता।
प्यार से ले गोदी में सिर, शांत करता।।
पहले तो मैं अनमनाता,भाव नहीं देता।
खीज,क्षोभ,गुस्सा सब उस पर दिखलाता।।
पर जाने वह क्या चुपचाप ऐसा जादू चलाता। पल भर में जिससे सब कुछ मैं भूल जाता।।
वह मुझे गले लगा फिर और जोर से हंसता।
बात- बेबात में भी तब खिलखिलाने लगता।।
इस तरह से एक दिन और बीत जाता। क्षणभर सही आत्म साक्षात्कार हो जाता।।
@नलिन #तारकेश
I am an Astrologer,Amateur Singer,Poet n Writer. Interests are Spirituality, Meditation,Classical Music and Hindi Literature.
Tuesday 7 November 2017
कोई तो है जो मेरे भीतर ही रहता
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