बाहों में भर उसे हमनशीं बनाने से क्या होगा।
बटोरने मोती अपने समंदर तूझे डूबना होगा।।
फितरत समझना मेरी बच्चों का कोई खेल नहीं।
डूब के मुझमें तुझे खुद को मिटाना होगा।।
दोस्त,दुश्मन के खाचों से अलग हटकर।
अपना चेहरा सबमें खुद तलाशना होगा।।
रोशनी दिखेगी नहीं ऐसे कभी परवरदिगार की।
"उस्ताद"आंखों में खुद को खुद से तराशना होगा।।
@नलिन #उस्ताद
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