उसके साथ का असर जब हुआ।
पानी शराब खूब,तो तब हुआ।।
दूर जाकर खोजना क्यों जरूरी।
पता कस्तूरी का अपनी जब हुआ।।
असर नोटबंदी का ऐसा दिखा।
डिजिटल हर कोई यहां अब हुआ।।
कुछ हो ना हो जीएसटी के चलते।
टैक्सेशन दायरा एक सब हुआ।।
आंखों में तिरे अनगिनत ख्वाब।
जवाब हां उसका जो लब हुआ।।
फूल ही फूल कांटों में दिखे।
इश्के नशा तारी अजब हुआ।।
उठ गया ईमान से यकीं मेरा।
दोस्त बना कातिल ये सबब हुआ।।
मर्ज रूहानी ठीक होने लगा।
अकीदा"उस्ताद"जबसे रब हुआ।।
@नलिन #उस्ताद
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