चौखट पर खुदा की आंसू बहाना चाहिए। वरना तो सारे चुपचाप पीने चाहिए।।
तलवे चाट सकते हो बुलंदी चूमने को तुम।
या की जूझ कर शिखर गढने चाहिए।।
कमी निकालो तो निकाल सकते हजार हो।
रहने को खुश मगर कहां पैमाने चाहिए।।
घुट-घुट जियोगे कब तलक बताओ जरा।
रागे बहार कभी वक़्त बेवक्त गाने चाहिए।।
यह भी चाहिए वह भी चाहिए छोड़कर।
कुछ तो कदम रुहानी भरने चाहिए।।
तंगहाली भला कैसे मने"उस्ताद"होली मिलन।
भीतर कहीं जज़्बाते रंग तो होने चाहिए।।
@नलिन #उस्ताद
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