प्रस्तुत है एक नई रचना जो ज्योतिष विषय पर आधारित है
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ब्रह्मांड में जो सूरज चांद सितारे देखते रहते हैं।
वो तेरे एक-एक करम का नगद हिसाब रखते हैं।।
सूरज-आत्मा,चांद-मन,बुध-बुद्धि,भौम-ताकत तो गुरु-ज्ञान से।
वहीं शुक्र-विलास,शनि-कर्म तो प्रारब्ध को राहु-केतु बांचते हैं।।
दरअसल इनका वजूद इतना ही है कि ये हैं अईना बस।
शक्ल दुरुस्त कर लें अगर कर्म की तो हमें चैन देते हैं।।
साढ़ेसाती तो आती है जीवन में हर किसी के कभी न कभी।
कर्मयोगी हर मुश्किल से मगर हर हाल में उबर जाते हैं।।
राजयोग या जन्म से ही जो विलक्षण रखते हैं प्रतिभा।
दान अपनी कीमती वसीयत पहले जन्मों की करके आते हैं।।
कर्म किया अगर आसक्त हो कर तो फल भी भुगतना पड़ेगा।
हाॅ उदासीन होने पर"उस्ताद" वह भी मौन, निष्क्रिय रहते हैं।।
@नलिन #उस्ताद
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