रिश्ते जो सारे यहां जमीं के वो तो अवैध सभी हैं।
दरसल बच्चे तो हम परवरदिगार के वैध सभी हैं।।
खूबसूरत है सभी कुछ जो है जमीं आकाश के दरमियान।
गुजर लपटों से दोजख*की देखो तो बनाती वो भी जमाली*हैं।।
चाल-चलन,नेकनियती भला अब किसे सुहा रहे।
सलीकेदार,जहीन तो अब गढते हमें दर्जी ही हैं।।
याद कर तो लिया सबक जिंदगी का रट्टू तोते की तरह।
पेंच फंसता है जब सिलेबस से रटे सवाल आते नहीं हैं।।
माल-असबाब दुनिया के सारे धरे रह जाते हैं यहीं।
चुनांचे नसीहतें"उस्ताद"की शुरू से बुनियादी रही हैं।।
दोजख=नरक;जमाली=खूबसूरत।
@नलिन #उस्ताद
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