दुःखती रग हाथ मेरी रखता क्यों है
जान कर हाल मेरा चिढाता क्यों है।
सब जान गए जब उसकी हकीकत
ढोंग भला नेकी का करता क्यों है।
बना रेत में वो ताजमहल
व्यथॆ गाल बजाता क्यों है।
पेड़ सभी हरे-भरे काट कर
मुॅह में मास्क लगाता क्यों है।
इज्जत जो मां बहनों की लूटे
भला इबादत करता क्यों है।
जन-मन के सब भुला के मुद्दे
खबरें भद्दी दिखलाता क्यों है।
जैसा जो है सच कहने पर
मुझसे मुहॅ फुलाता क्यों है।
नकल असल जो भेद ना जाने
"उस्ताद"भला कहलाता क्यों है।
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