"भैरवी"जब झूमकर"मालकौंस"गाने लगी
"बसंत""बहार"सबके दिलों में छाने लगी।
"मेघ मल्हार"गाने लगे सब उमड़-घुमड़ के
"श्याम"संग राधा"चारुकेशी""हिंडोल"झूमाने लगी।
जो है "भवानी""शिवरंजनी"मूरत"शुद्ध कल्याण" की
"श्री""सरस्वती"उसका गुणगान कर भाव"सिंधु"डूबाने लगी।
अपने भीतर "हंसध्वनी" सुन ली जब "नारायणी"
"बैरागी"मस्ती दिलो-दिमाग "उस्ताद" छाने लगी ।
एक प्रयोग के तौर पर यह रचना संगीत के रागों को लेकर की गई है जिसमें " "में रागों के नाम उल्लेखित हैं।
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