Monday, 22 February 2021

Bhom marriage poem 2

नवयुगल जोड़ी को ढेर आशीष के साथ 
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मदहोशी का हर तरफ अजब,बना फसाना है आज। 
दीवाना पी के नजरों से इसे,हुआ दीवाना है आज।।
जाने कितनी मुद्दतों बाद,दिल की अरदास है फली-फूली। हर तरफ बहकती बाहर का मौसम बना सुहाना है आज।। सूरज,चांद,सितारे सभी हैं हैरान-परेशान से आसमां में। 
भला ये कौन बुना जिसने नायाब ताना-बाना है आज।।
"भंवरा" बंजर जमीन,गुलों की तमन्ना लिए भटका था बहुत। 
खुदा ए नेमत देखिए महकता करीब ही खजाना है आज। मिला महबूब दिल को तो जन्नत का दीदार हो गया।
कहें और क्या जब "उस्ताद" ही आशिकाना है आज।।

नलिन "उस्ताद"

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